प्रजापति दक्ष जानता था और वचनबद्ध भी था आदिशक्ति से ,कि वो शिव और शक्ति का विवाह अवश्य करवायेगा । इसी शर्त पर माता आदिशक्ति ने दक्ष के घर सबसे छोटी बेटी सती के रूप में जन्म लिया । जब सती युवा हुई तब तक सती शिव से प्रेम करने लगीं थीं और दक्ष शिव से नफरत करने लगे थे। अंत में सती ने अपने पिता जी की इच्छा के विरुद्ध शिव जी को पति मान विवाह कर लिया ,प्रजापति दक्ष ने अपने अहंकार वश आदि शक्ति और शिव को भूला कर उनका अपमान किया तब आदि शक्ति ने अपने पति का अपमान न सह पाने की वजह से स्वयं को यज्ञ कुंड में भस्मीभूत कर लिया । इस कहानी का मतलब यही है प्रेम किसी कठोरतम तपस्या से कम बिल्कुल नहीं है। हम तो साधारण मानस हैं तो कदम कदम पर मुश्किलें और कुर्ब़ानी होना तो तय है। ईश्वर तक को अपने प्रेम को पाने के लिये कितने जन्म लेने पड़े । प्रेम पूरी सिद्दत से करो और प्रेम अधूरा भी रह जाये तो खुद को तबाह मत करना अगले जन्म में मिलने की दुआ करना ।क्या पता इस जन्म में न सही अगले जन्म में आपकी प्रेम कहानी पूरी कर पायें। _ by @Karishma #शिवशक्ति_प्रेम#कठिनाई_और_इंसान