जब जब किसी नारी को अपने नारित्व पर झुकानी पड़ी निगाहे और होना पड़ा विवश हमारी संपूर्ण सृष्टि को तब तब पाप का एक ऋण चढ़ा हर उस पुरुष पे जिसने , किया खंडित किसी द्रौपदी के आत्मसम्मान को , ललकारा किसी लक्ष्मीबाई की वीरता को , लगाया प्रश्न चिह्न किसी सीता के चरित्र पर और अपनी अश्लील शब्दों में पिरोया किसी नारी को। ~निवेदिता #RaysOfHope #Naari #draupdi#seeta#hindi#lines