आगाह करने वाला हूँ Read full poetry in caption 👇👇👇 ज़ालिम लोग समाज के, न काम के न काज के न करे कोई रहम और न रही किसी में शरम दुनियाँ घुटने टेकती है आगे,मिज़ाज़ जिनका हैं गरम गर अंधा तुझें बनना नहीं,कर ले प्रकाशित तू करम आ धर ले पैर तू जंगल में,शामिल हो जा दंगल में मंगल कर तेरा अखाड़े में,लताड़ेंगे,पछाटेंगे,पछाड़ेंगे