बैठ तुम्हारे पास तुम्हें निहारता रहूँ... न तुम कुछ कहो, न मैं कुछ कहूँ... बहते रहें आंसू और खामोशियों से बात होती रहे। आंखों में रुप तुम्हारा बसाकर, पलकों का पर्दा गिराकर... मन में तुम्हें बैठाकर तुम्हें ही निहारता रहूं। एक तूं ही याद रहे, बाकी सब भूल जाऊं। न तुम कुछ कहो, न मैं कुछ कहूँ... बहते रहें आंसू और खामोशियों से बात होती रहे।