बादलों की भी अपनी दास्तां है जनाब, कहीं भर भर के बरसते हैं, जैसे कि रो रहे हो किसी आशिक के लिए . और कहीं बरसना ही भूल जाते हैं. कहीं लाते हैं रिमझिम रिमझिम बारिश ,जैसे कि किसी की खुशी बयां कर रहे हो. और कभी बिना कुछ कहे गिर करा कर भी वापस खाली चले जाते हैं, जैसे कि अपना गुस्सा छुपा रहे हो. खूब गढ़ गढ़ आते हैं जैसे कि गुस्से में कुछ मुंह में बढ़ पढ़ा रहे हो ,इनका भी अपना ही एक किस्सा है, इनका भी अपना एक अंदाज ए बयां है. ©Sonia Lath #बादलों का किस्सा #bestfrnds