#OpenPoetry जीवन की मुस्कान बनेगी मां का यह अभिमान बनेगी कली खिली है इक प्यारी सी बढ बगिया की शान बनेगी। नन्ही सी महमान अभी है घर-भर की यह जान अभी है खूब पढेगी खूब बढेगी पापा की पहचान बनेगी कदमों मे हो दुनिया इक दिन बढ बगिया की शान बनेगी। कोयल सी आवाज निराली दिखती कितनी भोली-भाली आंखें इसकी इतनी सुन्दर सपनों की उड़ान बनेगी परी हमारी पंख सजा कर बढ बगिया की शान बनेगी। कोमलता से फूल लजाए हंसे अगर तो गुल खिल जाए घर की देहरी छोड़े जिस दिन दुनिया की मुस्कान बनेगी कली खिली है इक प्यारी सी बढ बगिया की शान बनेगी। #OpenPoetry #बिटिया