कविता- बाबुल का घर दुनियां में सबसे सुकून भरा और हर आशियाने से खूबसूरत होता है, बाबुल का घर। बेटी जहां गुजारती है अपना बचपन और आधी जवानी, वो होता है बाबुल का घर। सबकी लाडली, मन की शहजादी होती हैं बेटियां जहां, वो होता है बाबुल का घर। गर रूठ जाती है वो, तो मनाते हैं सब प्यार से मिलकर, वो होता है बाबुल का घर। सारी खुशियां, सारे गमों को मिलकर सहते हैं रहते हैं संग, वो होता है बाबुल का घर। घर-आंगन, गली-मोहल्ला गवाह होते हैं सभी बचपन के, वो होता है बाबुल का घर। विश्वास और प्यार की डोर से बंधा होता है हर रिश्ता जहां, वो होता है बाबुल का घर। लोरी,गीत,परियों की कहानियों से भरा होता है संसार जहां, वो होता है बाबुल का घर। हर जिद्द, हर ख्वाहिश बिना स्वार्थ के पूरी की जाती है जहां, वो होता है बाबुल का घर। माथे पर शिकन आने से पहले समस्या हल कर दी जाती जहां,वो होता है बाबुल का घर। मां- बाप के लिए बेटे- बेटी का प्यार समान होता है जहां, वो होता है बाबुल का घर। विदाई की रीत निभाने के लिए ही बेटियों को जाना पड़ता है छोड़कर, बाबुल का घर। हर बेटी के दिल में ताउम्र बसता, पल-पल साथ याद बनकर रहता है, बाबुल का घर। हर लड़की के जीवन का सबसे खूबसूरत और हसीन संसार होता है, बाबुल का घर। -"Ek Soch" #कोराकाग़ज #बाबुल_का_घर #मेरी विशेष रचना #विशेष प्रतियोगिता-9 #collabwithकोराकाग़ज़ #yqbaba #yqdidi