आया.. बचपन से हम तो इन्हे आया ही बुलाते है.. माँ क्योँ नहीं?? बचपन से हम इनके पास सब कुछ सीखते है.. हमारे साथ खेलती है..हमको खिलाती है.. सोते वक़्त हमको अच्छे अच्छे कहानियाँ सुनाती है.. सबसे पहले उठकर सारा काम वो संभालती है.. एक छोटे से बच्चे को परवरिश करके.. बड़ा वो बनती है.. जो भी होना है..आया वो कहाँ रखा है.. ये कहाँ है?? कितने बार समझाया पड़ता है तुम्हें.. एक ही जगह समान को रखा करो ना.. बस यहीं चिल्लाते रहते है.. उन पर.. बस एक बार सोचा है...?? उस उस माँ के बारे में.. वो भी इंसान ही है.. कोई यन्त्र नहीं! #life #kuchdilkibaatein आया.. ये एक शब्द नहीं.. किसी की जीवन में बहुत बड़ा पत्र है.. कुछ परिवारों में अभी भी ये प्रता बन गई है... जो भी परिवार में आया है.. अभी भी उनके संतान भी यहीं काम कर रहे है..