#OpenPoetry दिल संभल रहा है, अब तुझे याद भी कम कर रहा है,हो सके तो तुम भी मुझे भुलाना माना भूल चुकी हो फिर भी,कभी याद आये तो बुरा ख्वाब समझना हमने भी अब अपनी दुनिया आबाद करने की ठानी है, तुझे छोड़कर भूलकर अपनी ज़िंदगी खुद के हवाले करने की ठानी है। dil