शीर्षक- करता नहीं यह शौक तो, बर्बाद मैं नहीं होता ------------------------------------------------------------------ करता नहीं यह शौक तो, बर्बाद मैं नहीं होता। तन्हा नहीं मैं ऐसे होता, बदनाम मैं नहीं होता ।। करता नहीं यह शौक तो------------------------।। होश में रहा नहीं मैं , आई जब जवानी मेरी। करता नहीं मैं इश्क तो, हाल यह नहीं होता।। करता नहीं यह शौक तो---------------------।। बाँहों में रहती थी कलियां, खेलता था मैं उनसे। लगाता नहीं इनको गले तो, कमजोर मैं नहीं होता।। करता नहीं यह शौक तो-------------------------।। हसीनाओं का दीवाना था, सजती थी हरदिन महफ़िल। करता नहीं इनसे दोस्ती तो, घर में अंधेरा नहीं होता।। करता नहीं यह शौक तो---------------------------।। साथ नहीं मेरे अब कोई, नाराज मुझसे सभी हो गए। यह इश्क है लाइलाज रोग, मरहम इसका नहीं होता।। करता नहीं यह शौक तो---------------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #करता नहीं यह शौक तो