होता ना टुकड़े-टुकड़े दिल यूं बिखर के गर होठों पर नाम तेरा ना आया होता भटकता ना इन राहों मैं कभी गर आँखों से जाम ना पिलाया होता उड़ता हवा में मैं भी पंछी बनके जो जूल्फो का पिंजरा तूने ना बनाया होता उठता ना कब्र से कभी भी गर सिर पर पांव तेरा ना आया होता #nojoto #kavishala #poetry #poem #dil #kavay #kalakar