अपने आप से कोई कंजूस नही होता , जिम्मेदारियों का बोझ हैं वो ढ़ोता, मार अपने सपनो को वह बखिल नाम से प्रसिद्ध हैं होता, कर नियंत्रण मन पर वह दिल से करता हैं समझौता, सच पूछो तो यह शब्द ही हम सबकी सोच का हैं , मन से कोई कंजूसी की हद तक न पहुंचता हैं, जब वह अपनी बचत कहिं नेक काम मे लगा देता है, दोस्त को खाली जेब वो दिखाता हैं, कंजूस दोस्त वो कहलाता हैं। 🎀 Challenge-277 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 8 पंक्तियों में अपनी हास्य रस रचना लिखिए।