क्या पता हम कहाँ जाए खामोश रहकर इधर उधर जाए गम,तन्हाई और बैचैनी सब एक मन का वहम है घर,परिवार और उनका प्यार जीवन का नाम है चलना, दौड़ना,गिरना और उठना सब सीख है धोखा,चोरी,झूठ और अपसब्द सब चीख है उधार,कर्ज़,माफी और बेरोज़गारी सब भीख है नाम,सोहरत,कमाई और मुनाफा सब लाख है।। नमस्ते लेखकों❤ तैयार हो हमारी "काव्योगिता" के पहले चरण के लिए?! हमारा पहला पड़ाव एक अनुक्रमिक कविता है। इस कविता का प्रारूप (format ) कुछ इस प्रकार रहेगा: