मैंने कभी दरिया नहीं देखा समंदर नहीं देखा ज़ुबाँ से मारने वालों के पास खंजर नहीं देखा खो गया हूँ मैं दुनिया की इस भीड़ में कई दिनों से मैंने खुदके अंदर नहीं देखा न जाने किसके लिए बना रहा हूँ घरौंदा मैं साथ ले जाते हुए कोई सिकंदर नहीं देखा वो अपनी दुवाओं से ले लेती है सारी बलाएँ माँ बड़ा कोई खुदा कोई पैगम्बर नहीं देखा ©आला चौहान"मुसाफ़िर" #alaquote #khanzar #zuban