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कब से ख़ामोश हैं दिल, कुछ कहने को बेताब हैं, होठ सि

कब से ख़ामोश हैं दिल,
कुछ कहने को बेताब हैं,
होठ सिले हुए हैं,
पर दिल तो खुली किताब हैं। #Khamoshiyan
#Karan_Singh
कब से ख़ामोश हैं दिल,
कुछ कहने को बेताब हैं,
होठ सिले हुए हैं,
पर दिल तो खुली किताब हैं। #Khamoshiyan
#Karan_Singh
karansingh2991

Karan Singh

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