उगता सूरज लालिमा थी ,वो चली थी काम पर , कतरा कतरा बिनती वो, आज आयी इस डगर, घर मे एक पिता दो भाई थे, एक खास्ती मैय्या रात भर, वो आगे बड़ी एक सुई चुबी , खून निकलता दिल पिसचता , दर्द निकलता सिसकियों मे, वो फिर भी ध्यान लगाती काम पर , बालश्रम 2.0 If u like my poem comment on it , #nozoto#sarthakkarnatak#poetrycollection