ये जो नज़रें झुकाकर तुम कत्ल-ए-आम करती हो, इतना संगीन अपराध कैसे तुम सरेआम करती हो...... गर कोई देख ले तुमको कभी ग़लती से इक दफ़ा, तुम पलट कर देखती हो तो काम तमाम करती हो...... ©Poet Maddy ये जो नज़रें झुकाकर तुम कत्ल-ए-आम करती हो, इतना संगीन अपराध कैसे तुम सरेआम करती हो...... #Murder#Eyes#Crime#Publicly#See#ByMistake#LookBack#Done.........