ग़ज़ल """"" मिला नाख़ुदा....... तो ख़ुदा भी मिलेगा जो ढूँढ़ो..... तो अपना पता भी मिलेगा न थी ये ख़बर... जब सफ़र पर चले थे कोई हमसफ़र.... आप-सा भी मिलेगा कि तफ़रीह को... आँख में उतरे थे हम न था ये पता........ मैक़दा भी मिलेगा ज़रा ठीक से ढूँढ़िए...... दिल में अपने मेरे उन्स का....... मक़बरा भी मिलेगा है ग़म गर पुराना.......सहेजो सँभालो जो अपनों ने चाहा,.. नया भी मिलेगा पता था कि इंसां.... बदल अब गया है न मालूम था यूँ........ गिरा भी मिलेगा गिनोगे जो मक़बूल शायर किसी दिन तो इक नाम "गुमनाम" का भी मिलेगा #ग़ज़ल #मक़बूल #मक़बरा #आँख #ghumnamgautam #ग़म