जब तुम स्कूल आए , बड़े नादान थे ; तुम्हारी चंचल बुद्धि में ना जाने कितने अनसुलझे सवाल थे ? कभी चंचल गलातियो के लिए डांट भी पड़ी थी ; कभी कान खीचे, कभी मारी भी छड़ी थी ! पर तुम्हारे राहों की मंज़िलो रक्षक हूं ; क्यूंकि मै एक शिक्षक हूं !! मेरी छड़ी मार खा तुमने द्वेष जगाया होगा ; मेरे कटुक वचन सुन , शायद तुम्हें गुस्सा भी आया होगा ; तुम थे अज्ञानता में जो मुझे नामंजूर था , तुम ही बताओ , क्या मेरा कोई कसूर था ; अरे ! मै तुम्हारा प्रेक्षक हूं - क्यूंकि मै एक .... तुम्हारे बचपन कि जुंबिशे बड़ी प्यारी थी , आज की दिखावे की हंसी से अच्छी वो खिलकारी थी , है मुझे आज जकड़े हुए हो जिम्मेदारियों मे , थोड़ी भागादौड़ी थोडी परेशानियों में , पर लड़ना है तुम्हें मै बस उपदेशक हूं -- क्यूंकि मै एक.... लड़कर मुश्किलों से बढ़ते रहो मंज़िलो की ओर, तब तक मत रुकना जब तक सफलता मचाए शोर, कुछ। ना हासिल होगा जो तुम मां बैठे हार , अच्छा ये बताओ ! उठा पाओगे बदनामी का भार , कुछ। नजर सकता मै इसके आगे , बस एक दर्शक हूं क्यूंकि मै एक शिक्षक हूं 👨🏫 #MeraShehar #TEACHERS