बेटी मैं बिटिया हूं अपने बाबुल की, नही मुझ सा कहीं तुम पाओगे । मेरे दम पर ही सांसे दुनियां की बिना मेरे न जी पाओगे बोझ समझ कर अपना, मुझे कोख में ही तुम मरवाओगे मैं बिटिया हूं अपने बाबुल की, नही मुझ सा कहीं तुम पाओगे । मैं लक्ष्मी हूँ तुम्हारे घर की एक आंगन से दूजे आंगन जाउंगी बन कर किसी के घर की लाज मैं उसके वंश को बढ़ाऊंगी मैं बिटिया हूं अपने बाबुल की, नही मुझ सा कहीं तुम पाओगे । सारा ज़माना, तुम मुझसे ही छोड़ मुझे तुम क्या कर पाओगे हर रिस्ता बनता मुझसे ही बिटिया नही तो कैसे निभाओगे ? मैं बिटिया हूं अपने बाबुल की, नही मुझ सा कहीं तुम पाओगे । जो न हो बिटिया धरती पर तो माँ किसको तुम कहलाओगे खत्म कर दोगे अगर मुझे ही तो राखी किससे तुम बंधवाओगे ? मैं बिटिया हूं अपने बाबुल की, नही मुझ सा कहीं तुम पाओगे । जो बिटिया न होगी तो दुल्हन कहाँ से तुम लाओगे ? बुरी निगाह गर कोई मुझ पर डाले बत्तर-से-बत्तर ज़िन्दगी तुम पाओगे मैं बिटिया हूं अपने बाबुल की, नही मुझ सा कहीं तुम पाओगे । #बेटी #बाबुल_की_बिटिया #बेटियों के लिए कुछ बेहद खास... ... मैं बिटिया हूं अपने बाबुल की, नही मुझ सा कहीं तुम पाओगे । मेरे दम पर ही सांसे दुनियां की बिना मेरे न जी पाओगे बोझ समझ कर अपना, मुझे