नहीं भरते उसके दिए हुवे ज़खम, भर गया है ,जिसका मुझसे मन.. तनहा बैठ के अक्सर यही सोचता रहता हूँ, कोई कैसे हो सकता है ,इतना बेरहम.. तब बिछड़ते वक्त मौत आ जाती तो बेहतर था, अब दिल धड़कता है, तो होती है घुटन.. महज़ चार दिन वो शख़्स मेरे साथ रहा, जो कहता था रहेंगे , सातो जनम.. इंतज़ार मत करो 'अभिषेक' वो नहीं आएगी, खुद ही लगा लो ,अब ज़ख्मो पे मरहम.. -अभिषेक अज्ञानी #abhishekagyani #shayarabhishek #feelings #ishq #Trending #gazal #urdu #Hindi