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नहीं है ख्वाव ये कोई कहीं उपहार पाने का। इरादा है

नहीं है ख्वाव ये कोई कहीं उपहार पाने का। 
इरादा है अगर मेरा तो बस उनको जगाने का।। 
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बे शर्म भी वो सबसे ज्यादा और शर्म भी उनको ज्यादा है। 
झूठी तुच्छ  तमन्नाये नंगे पन पर आमादा है।। 
वाह रे बे शर्मो तुमने बे शर्मी की हद कर दी। 
अपनी सारी सुंदरता गंदे इशारों में भर दी।। 
जो तुम करते स्वीकार तुम्हें जो और करें वो गंदा है। 
खुद मर्यादाएं लांघ रहे अपनी इज्जत खूंटी धर दी।। 
खुद स्वाभिमान के कातिल हो खुद मान मिटाते हो अपना। 
लाइक फॉलोअर की खातिर सम्मान की अपने वलि कर दी।।
                आशुतोष अमन🙏🙏
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©Aashutosh Aman.
  #BESHARMI