|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10
।।श्री हरिः।।
5 – अक्रोध
'क्रोधं कामविवर्जनात्'
हम सब उन्हें दादा कहते थे। सचमुच वे हमारे दादा - बड़े भाई थे। सगे बड़े भाई भी किसी के इतने स्नेहशील केदाचित् ही होते हों। उनका ध्यान हम सबों की छोटी-से-छोटी आवश्यकता पर रहता था। किसे कब क्या चाहिये। किसे क्या-क्या साथ ले जाना चाहिये।