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कैसे हो - ठीक हूँ कैसी हो - मैं भी ठीक हूँ अगर इ

कैसे हो - ठीक हूँ 
कैसी हो - मैं भी ठीक हूँ 
अगर इन दो पंक्तियों को गहराई से देखा जाएगा 
तो समझ आएगा 
कि 
इन पंक्तियों में कई अंसुनी कहानियाँ और कई अधूरे ख्वाब छुपे हैं 
ना जाने कितनी सिसकियों और चीखों की गूँज दब कर कहीं लुप्त हो गयी है 
और कितने ही जज़्बात छिपे हैं जिनको शब्दों में पिरोना असंभव है 
और इन सब के ऊपर बहुत बढ़िया की चादर डाली जाती है 
और यह बातें जो आपके दिल के बहुत - बहुत करीब हैं बस उन्हीं को समझ में आती हैं

©Anuja Sinha #writing_time
कैसे हो - ठीक हूँ 
कैसी हो - मैं भी ठीक हूँ 
अगर इन दो पंक्तियों को गहराई से देखा जाएगा 
तो समझ आएगा 
कि 
इन पंक्तियों में कई अंसुनी कहानियाँ और कई अधूरे ख्वाब छुपे हैं 
ना जाने कितनी सिसकियों और चीखों की गूँज दब कर कहीं लुप्त हो गयी है 
और कितने ही जज़्बात छिपे हैं जिनको शब्दों में पिरोना असंभव है 
और इन सब के ऊपर बहुत बढ़िया की चादर डाली जाती है 
और यह बातें जो आपके दिल के बहुत - बहुत करीब हैं बस उन्हीं को समझ में आती हैं

©Anuja Sinha #writing_time
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Anuja Sinha

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