ना करो यूँ आज़ाद , मुझे गुमनाम रहने दो अच्छाई छिपा दो, मुझे बदनाम रहने दो क्या पाया, अच्छा बन मैंने इस जहान मेें दफ़्न राज दिल मेें, यूँ सरेआम ना होने दो सितम करता रहा है, ज़माना हम पर यूँ ना ललचाओं हमें, हमारा ईमान रहने दो तिल तिल जला, अब यह 'राख' रहने दो ना तोड़ो यूँ हमें, थोड़ा आसमान रहने दो हूँ छोटी जात का मैं यह ज़हर पी लिया है ना चाहत कोई, बस मुझे 'इंसान' रहने दो ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1027 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।