अखां खुलियां ने फिर वी हनेरा ए, ए हनेरा नी मोह माया दा घेरा ए, जिसने हर मनुख नु घेरया ए, लाया जिस्दी मत्त ते डेरा ए, उस विच होमा भतेरा ए, इक दिन उसे होंमे ने उसनु निवा विखाया ए।। जेहड़ा इस हनेरे तो बच पाया ए, उसने कुछ कर के विखाया ए, जग विच नाम कमाया ए।। हनेरा- अँधेरा मत्त - दिमाग, बुद्धि होमा - घमण्ड भतेरा - बहुत ज्यादा निवा - नीचा मनुख - इंसान आँखे खुली है फिर भी अँधेरा छाया है,