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भावार्थ मैं संतों को प्रणाम करता हूँ, जिनके चित्त

भावार्थ
मैं संतों को प्रणाम करता हूँ, जिनके चित्त में समता है,
जिनका न कोई मित्र है और न शत्रु!
जैसे अंजलि में रखे हुए सुंदर फूल (जिस हाथ ने
फूलों को तोड़ा और जिसने उनको रखा उन)
दोनों ही हाथों को समान रूप से सुगंधित करते हैं।
(वैसे ही संत शत्रु और मित्र दोनों का ही समान रूप से
कल्याण करते हैं।)॥3 (क)॥ #dailyramkatha #saiankur #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqtales #yqhindi #yqdada
भावार्थ
मैं संतों को प्रणाम करता हूँ, जिनके चित्त में समता है,
जिनका न कोई मित्र है और न शत्रु!
जैसे अंजलि में रखे हुए सुंदर फूल (जिस हाथ ने
फूलों को तोड़ा और जिसने उनको रखा उन)
दोनों ही हाथों को समान रूप से सुगंधित करते हैं।
(वैसे ही संत शत्रु और मित्र दोनों का ही समान रूप से
कल्याण करते हैं।)॥3 (क)॥ #dailyramkatha #saiankur #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqtales #yqhindi #yqdada