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बे-बहर ग़ज़ल(इज़हार ए इश्क़) रदीफ़:-तुमसे काफ़िया:-इज़हार

बे-बहर ग़ज़ल(इज़हार ए इश्क़)
रदीफ़:-तुमसे
काफ़िया:-इज़हार, खुमार,प्यार,एतबार, इख़्तियार
********************************
काश न की होती इब्दिता-ए-इश्क़ की तक़रार तुमसे,
अग्यार ही बने रहते न करते इश्क़ का इज़हार तुमसे।

दीदा-ए-दानिस्ता दरकिनार कर दी दिल की आवाज,
चाहत-ए -विसाल-ए-सनम का हसीन ख़ुमार तुमसे।

आब-ए-चश्म बहा के भूल गए हम ज़ख्म-ए-दिल को,
चाहत-ए-सोहबत हुई ऐसी हमें कि फ़क़त है प्यार तुमसे।

बन मोहसिन मिरी मज़ार पर तिरी रूह का निशाँ छोड़ जाना,
अक़ीदा-ए-इश्क़ में मुन्तज़िर दिल को है एतबार तुमसे।

दिल-ए-बे-क़रार निशा पाने को बस तिरी नाम-ए-मोहब्बत है,
मिरी तहरीर-ए-किस्मत तेरे साथ हो, ऐसा इख़्तियार तुमसे। इब्दिता-ए-इश्क़:-प्यार की शुरुआत
अग्यार:-अनजान
दीदा-ए-दानिस्ता:-जानबूझकर
मोहसिन:-सहायक
अक़ीदा-ए-इश्क़:-प्यार के विश्वास
दिल-ए-मुन्तजिर:-इंतजार करने वाला
तहरीर-ए-किस्मत :-किस्मत का लिखा
बे-बहर ग़ज़ल(इज़हार ए इश्क़)
रदीफ़:-तुमसे
काफ़िया:-इज़हार, खुमार,प्यार,एतबार, इख़्तियार
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काश न की होती इब्दिता-ए-इश्क़ की तक़रार तुमसे,
अग्यार ही बने रहते न करते इश्क़ का इज़हार तुमसे।

दीदा-ए-दानिस्ता दरकिनार कर दी दिल की आवाज,
चाहत-ए -विसाल-ए-सनम का हसीन ख़ुमार तुमसे।

आब-ए-चश्म बहा के भूल गए हम ज़ख्म-ए-दिल को,
चाहत-ए-सोहबत हुई ऐसी हमें कि फ़क़त है प्यार तुमसे।

बन मोहसिन मिरी मज़ार पर तिरी रूह का निशाँ छोड़ जाना,
अक़ीदा-ए-इश्क़ में मुन्तज़िर दिल को है एतबार तुमसे।

दिल-ए-बे-क़रार निशा पाने को बस तिरी नाम-ए-मोहब्बत है,
मिरी तहरीर-ए-किस्मत तेरे साथ हो, ऐसा इख़्तियार तुमसे। इब्दिता-ए-इश्क़:-प्यार की शुरुआत
अग्यार:-अनजान
दीदा-ए-दानिस्ता:-जानबूझकर
मोहसिन:-सहायक
अक़ीदा-ए-इश्क़:-प्यार के विश्वास
दिल-ए-मुन्तजिर:-इंतजार करने वाला
तहरीर-ए-किस्मत :-किस्मत का लिखा