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बारिश के बाद, बादलों से छटती धूप हो जैसे , वो सूखी

बारिश के बाद, बादलों से छटती धूप हो जैसे ,
वो सूखी रेत को छूती पहली बूंद हो जैसे ,
गीली मिट्टी से जैसे निकलती सोंधी सी मेहक कोई ,
ठंडी ठंडी बेहंकी बयार,लाखों फूलों की खुसबू खुद में समटे हुए 
जैसे आसमां जमीं पर छाते हुए 
मैं खुद को पता हूं तेरे आगे बिल्कुल बेबस ,
तू जैसे कोई आंधी, मुझे सूखे पत्ते की तरह खुद के साथ उड़ाते हुए ।।
 #बारिश #धूप #पहलीबारिश #सोंधिमेहक #दिलकीबात
बारिश के बाद, बादलों से छटती धूप हो जैसे ,
वो सूखी रेत को छूती पहली बूंद हो जैसे ,
गीली मिट्टी से जैसे निकलती सोंधी सी मेहक कोई ,
ठंडी ठंडी बेहंकी बयार,लाखों फूलों की खुसबू खुद में समटे हुए 
जैसे आसमां जमीं पर छाते हुए 
मैं खुद को पता हूं तेरे आगे बिल्कुल बेबस ,
तू जैसे कोई आंधी, मुझे सूखे पत्ते की तरह खुद के साथ उड़ाते हुए ।।
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