त्याग ,प्रेम ,समर्पण ...सब उसकी छाया है उसके बिना कोई कहां सुख पाया है माँ, बहन, पत्नी,बेटी बन कर ...उसने प्यार लुटाया है वही है जिसने तुम्हें इस जहां में लाया है वो राधा है ,वही है काली वो गंगा सी ,ही भवानी वो जीवन है और काल भी वो आदिशक्ति ,महाकाल भी वही है मृत्यु ,वो रक्त की प्यासी वो ममतामय वो सबकी दासी वो प्रेम की मूरत, वो करुणामय अपरिभाषित स्त्री..... #अपरिभाषित #स्त्री#काली