पल रूठना और पल में मान जाना, दोस्तो से झगड़ा फिर उनको मनाना, हसीं ठिठोली में उनको बड़ा चिढाना, मजाक मस्ती में उनसे भीड़ जाना, करना हमेशा अपनी मनमानियां, याद है वो बचपन की शैतानियां। चिल्लाना सड़कों पे बड़ी ही मस्ती से, मिलाना गैरों को अपनी ही हस्ती से, चिढ़ाना भवरों को कागज़ की कश्ती से, तब ख्वाहिशें मिलती थी बड़ी ही सस्ती से, हसाती अब भी है वो नादानियां, याद है वो बचपन की शैतानियां। दिल हर हालातों से बेखौफ था, बड़े ही छोटे से हर शौक था, तब मस्तियां मासूम बेरोक था, माहौल जश्न का हर रोज़ था, जिंदगी उलझाती झूठी कहानियां, याद है वो बचपन की शैतानियां। आज शरीर दिखावे को वयस्क हो गया, मन में आज भी वो छोटा सा शक्स रह गया, उसे हर रोज हमने जिम्मेदारी से दबा दिया, फिर भी जिंदा है वो बचपन की शैतानियां। बचपन की शैतानियाँ कैसी थीं नादानियाँ लिखें, Collab करें YQ Didi के साथ। #शैतानियाँ #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi