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मेरे मोहल्ले की कहानी ***सच्चा गुरू ***

मेरे मोहल्ले की कहानी  







***सच्चा  गुरू ***
सच्ची   घटना # प्रेरणात्मक #

एक  अमीर पिता की बिगडी , बदतमिज और अभद्र भाषा का उपयोग करनेवाली संतान ,एक  कक्षा में दो  साल उसके लिए मामूली बात थी ऐसी कोई बुरी लत न थी ज़िससे  वह अछूता   रहा हो सारे शिक्षकगण परेशान थे की इस ........
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 #NojotoQuote ***सच्चा  गुरू ***
सच्ची   घटना # प्रेरणात्मक #

एक  अमीर पिता की बिगडी , बदतमिज और अभद्र भाषा का उपयोग करनेवाली संतान ,एक  कक्षा में दो  साल उसके लिए मामूली बात थी ऐसी कोई बुरी लत न थी ज़िससे  वह अछूता   रहा हो सारे शिक्षकगण परेशान थे की इस परिस्थिति से कैसे निपटा जाये 
स्कूल के फादर को दिल्ली से निर्णय लेने के लिए बुलाया गया और सारे 35 शिक्षकों को उस बच्चे को स्कूल में न रखने के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया इसी बीच वह बच्चा
स्टाफ रूम के  बाहर खडा फैसले का इंताजार कर रहा था 
सारे शिक्षकों ने हस्ताक्षर किये सिवाय एक शिक्षक के ज़िनका  मानना था कि बच्चे को एक अंतिम मौका सुधरने का दिया जाना चाहिए इस बात को सुनते ही सारे शिक्षक उस  एक शिक्षक के विरोध में खडे हो गए की एक महीने में ये ऐसा कौन सा तीर मार लेंगी क्योंकि एक शिक्षक ही बच्चे के भविष्य को दिशा  देता है 
खैर फादर ने मंजूरी दे दी और एक महिने बाद फिर से मिटींग बुलाने का निर्णय लिया उस शिक्षिका को पूर्णतह आजादी दी की वह उस बच्चे को सुधार सके
मेरे मोहल्ले की कहानी  







***सच्चा  गुरू ***
सच्ची   घटना # प्रेरणात्मक #

एक  अमीर पिता की बिगडी , बदतमिज और अभद्र भाषा का उपयोग करनेवाली संतान ,एक  कक्षा में दो  साल उसके लिए मामूली बात थी ऐसी कोई बुरी लत न थी ज़िससे  वह अछूता   रहा हो सारे शिक्षकगण परेशान थे की इस ........
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 #NojotoQuote ***सच्चा  गुरू ***
सच्ची   घटना # प्रेरणात्मक #

एक  अमीर पिता की बिगडी , बदतमिज और अभद्र भाषा का उपयोग करनेवाली संतान ,एक  कक्षा में दो  साल उसके लिए मामूली बात थी ऐसी कोई बुरी लत न थी ज़िससे  वह अछूता   रहा हो सारे शिक्षकगण परेशान थे की इस परिस्थिति से कैसे निपटा जाये 
स्कूल के फादर को दिल्ली से निर्णय लेने के लिए बुलाया गया और सारे 35 शिक्षकों को उस बच्चे को स्कूल में न रखने के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया इसी बीच वह बच्चा
स्टाफ रूम के  बाहर खडा फैसले का इंताजार कर रहा था 
सारे शिक्षकों ने हस्ताक्षर किये सिवाय एक शिक्षक के ज़िनका  मानना था कि बच्चे को एक अंतिम मौका सुधरने का दिया जाना चाहिए इस बात को सुनते ही सारे शिक्षक उस  एक शिक्षक के विरोध में खडे हो गए की एक महीने में ये ऐसा कौन सा तीर मार लेंगी क्योंकि एक शिक्षक ही बच्चे के भविष्य को दिशा  देता है 
खैर फादर ने मंजूरी दे दी और एक महिने बाद फिर से मिटींग बुलाने का निर्णय लिया उस शिक्षिका को पूर्णतह आजादी दी की वह उस बच्चे को सुधार सके