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बहते बहते रुकते झरने, क्यों कहते है बेरुखी है हवाए

बहते बहते
रुकते झरने,
क्यों कहते है
बेरुखी है हवाएं

कहते कहते
रुकती आहें,
क्यों कहती है
बेरुखी है यादें

चलते चलते
रुकती सांसे
क्यों कहती है
बेरुखी है तन्हांए

©R. Parvesh Blog.
  #तन्हा #यादें #गजल #कविताएं #दिल❤️