मेरे यारो ये साथ का पल अब एक ख़्वाब में बदल रहा आया वो समय जिसमे अलविदा कहना पड़ रहा रोज सुबह-रात वाली गपशप होंगी खत्म अब अब अलग होंगे रिश्ते और अलग होंगे अभिमान समूह की यह प्रतियोगिता जहाँ जमती थी हमारी कविता रिक्त हो जाएगा उस समूह का स्थान अब आ गया वह मोड़ जिसमे अलविदा कहना पड़ेगा अब नासमझ ही थे जब आए थे ये पल भी कैसे चले आए थे हाथ भी मिला कुछ इस क़दर हम सब सूझबूझ से समझने लग गए एक प्रतियोगिता के दिन जल्दी खत्म हो गए एक पल में गुजरने का ये दौर भी थम गया आ गया वो मोड़ जिसमे अलविदा कहना पड़ रहा मेरे दोस्तों ठीक से देख लो,कही कुछ छूटा न हो कही तुम्हारी वजह से कोई दिल रूठा न हो भूलकर सब रंजिशे,एक रिश्ता बना लो फिर से मिलने का वादा कर लो,क्योंकि जा रहा वक़्त जो वो दोबारा आने से रहा,दिल थामे आँखे पोछ रहा " छोड़ कर चले जाएंगे जब तो यह घर खाली रह जाएगा " Day _ 9 प्रतियोगिता _"हम लिखते रहेंगे" Toeam . 17 __" साहित्य संजीवनी " शीर्षक _ " विदाई की घड़ी " शब्द _ रिश्ते, ख़्वाब, सूझबूझ, अभिमान, कदर