#गुंज इक कहानी सुना था बचपन मे इक आदमी को मिला था इक ऐसी सफ़ा दिल की देख पाता रहा था दुसरे के दिल के अंदर छुपी कमजर्फ़ ख्वाहिशों को बहुत ढूँढा मगर जर्फ़ दिल ना मिला फ़िर चाहा की कुछ अनदेखा कर दे बना ले इक दोस्त जो जरुरी भी था और जरूरत भी मगर वह भटकता रहा कोई भी उसे मिला नहीं जिसे वह चाह सकॆ फ़िर भटकते - भटकते शायद कहीं दुर चला गया था...... दुनिया से पा लिया था खुद को आजकल सुनते है उस शापित आदमी की आत्मा मेरे सीने मे धड़कती हैं!!!!! इक कहानी सुना था बचपन मे इक आदमी को मिली थी इक ऐसी सफ़ा दिल की देख पाता रहा था दुसरे के दिल के अंदर छुपी कमजर्फ़ ख्वाहिशों को