कहाँ ढूंढ रही मैं दशानन मन के अंदर ही छुपा बैठा है रावण काम ,क्रोध,ईष्या ,द्वेष,लोभ क्या मैं इसका नाश कर पाऊंगी अंधकार भरें इस जीवन को प्रकाशित मैं कर पाऊंगी जीवन एक संघर्ष है क्या मैं सच का हाथ थाम पाऊंगी ।।। यह प्रतियोगिता संख्या -7 है साहित्य कक्ष में आप सभी कवि-कवित्री का स्वागत 🙏🏻 है। चार(4) पंक्ति में रचना Collab करें 🅽🅾🆃🅴 - अगर कोई सारे नियम और शर्तों को ध्यान में रखकर Collab नहीं करता है। उसकी रचना को प्रतियोगिता से बाहर कर दिया जाएगा। #collabchallenge