एक गजल लिखी है जो बस तुम्हे सुनाना चाहता हूँ। कि तुम्हारी आँखों से तुम्हे में रूबरू कराना चाहता हूँ।। में नही कहूंगा कभी जिक्र किसी से तुम्हारा खुद से हूँ ज्यादा चाहता तुम्हे , कि मेरा कोई इरादा नही है,इधर उधर तुमको होटलों में ले जाने का में बस अपनी माँ से तुम्हे मिलाना चाहता हूँ। एक गजल लिखी है बस तुम्हे सुनना चाहता हूँ । तुम्हारे आँखों से में तुम्हे रूबरू कराना चाहता हूँ।। कि में तुम्हे चाँद कहूंगा तो ये तोहिन है हुस्न की, एक परी आती है ख्यावों में उसे तुमसे मिलाना चाहता हूँ। कि अब सोने की अगुंठी तो दे नही सकता तुम्हे में, एक पायल है वो तुम्हे खुद पहनाना चाहता हूँ । कि एक गजल लिखी है, जो बस तुम्हे सुनाना चाहता हूँ। तुम्हारी आँखों से तुम्हे में रूबरू कराना चाहता हूँ । #रांझणा💔