मन आंखों से बहता है 👇🏻👇🏻👇🏻 जी पढ़िए काली चुनर ओढ़ के आई दूर क्षितिज की अंधियारी ले गई सुरमई स्वप्न नयन के ये सूरज की रश्मियां सारी ना जलता अब दीप ह्रदय में भला ऐसा भी क्यों होता है लेकर पापों का बोझ स्वयं पर