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चेतन होकर मन मस्त मेरे ;इस दुनिया की पहचान करो ॥

चेतन होकर मन मस्त मेरे ;इस दुनिया की पहचान करो ॥

यह एक दलालों की बस्ती तू ढूंढ रहा अपना किसको
 वह गिरा मुंह के बल फौरन जिसने समझा अपना जिसको ॥
कल्पित है जो मन में तेरे सब पाने का विस्मय कर ले
 शोणित अंग अंग में उबल उठे बस थोड़ा सा निश्चय कर ले ॥
ना हो तू खुद से अनजाना क्या नदी सिंधु से मुकर गई 
ठोकर खाकर के डगर डगर तुझ में आ कर के फिर गिर गई॥
भृकुटी में भर के तूफ़ान को एक नवयुग का आह्वान करो
चेतन होकर मन मस्त मेरे इस दुनिया की पहचान करो ॥ 1

दिखते जो भोले भाले हैं उनके मन में भी चाले हैं
 दिखते बाहर उजले उजले मन से वह बिल्कुल काले हैं ॥
तुझको अत्यंत जरूरत में जिसने भी पीठ दिखाई है
 रहता था तेरे आस-पास गिरगिट का सगा भाई है ॥
जो स्वार्थ देखकर रंग बदले होता वह सच्चा मित्र नहीं 
महके जो कुछ पल भर के लिए अच्छे फूलों का इत्र नहीं ॥
बचकर के ऐसी दुनिया से खुद ही खुद का कल्याण करो 
चेतन होकर मन मस्त मेरे इस दुनिया की पहचान करो॥ 2

चेतन होकर मन मस्त मेरे इस दुनिया की पहचान करो ॥
                             ✍️✍️..........'सैणी दान चारण' ...

©Shenu.... #viplav
चेतन होकर मन मस्त मेरे ;इस दुनिया की पहचान करो ॥

यह एक दलालों की बस्ती तू ढूंढ रहा अपना किसको
 वह गिरा मुंह के बल फौरन जिसने समझा अपना जिसको ॥
कल्पित है जो मन में तेरे सब पाने का विस्मय कर ले
 शोणित अंग अंग में उबल उठे बस थोड़ा सा निश्चय कर ले ॥
ना हो तू खुद से अनजाना क्या नदी सिंधु से मुकर गई 
ठोकर खाकर के डगर डगर तुझ में आ कर के फिर गिर गई॥
भृकुटी में भर के तूफ़ान को एक नवयुग का आह्वान करो
चेतन होकर मन मस्त मेरे इस दुनिया की पहचान करो ॥ 1

दिखते जो भोले भाले हैं उनके मन में भी चाले हैं
 दिखते बाहर उजले उजले मन से वह बिल्कुल काले हैं ॥
तुझको अत्यंत जरूरत में जिसने भी पीठ दिखाई है
 रहता था तेरे आस-पास गिरगिट का सगा भाई है ॥
जो स्वार्थ देखकर रंग बदले होता वह सच्चा मित्र नहीं 
महके जो कुछ पल भर के लिए अच्छे फूलों का इत्र नहीं ॥
बचकर के ऐसी दुनिया से खुद ही खुद का कल्याण करो 
चेतन होकर मन मस्त मेरे इस दुनिया की पहचान करो॥ 2

चेतन होकर मन मस्त मेरे इस दुनिया की पहचान करो ॥
                             ✍️✍️..........'सैणी दान चारण' ...

©Shenu.... #viplav