जितनी बार उसने हृदय खोला तीर सा आया कोई रक्त से लिखता रहा वो सत्य प्रेम की गाथा। लहू बना स्याही और हृदय बनी कलम जो भी लिखा सत्य लिखा, लिखा अपूर्व निर्मम। एक एक उद्गार में थी परिपक्व प्रेम की परछाई सब उसका कद, काठी देखते थे कोई नहीं देखता सच्चाई। मस्तिष्क से समझने का किया प्रयत्न हाय तू अभागा रक्त से.....l ©mautila registan(Naveen Pandey) #shortgirraf