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तुम बिन जाने मैं कौन थी जैसे मैं खुद से ही मौन थी

तुम बिन जाने मैं कौन थी
जैसे मैं खुद से ही मौन थी
ज़िंदगी को ज़िंदगी
तुमने ही तो बनाया है
जब जब तुमने मुझको
माँ कहकर बुलाया है
वो चुपके से तेरा मुझे ढूंढना
वो आँखों ही आँखों में माँ बोलना
छोटी छोटी उँगलियों से
मेरा हाथ छूना
वो उंगली पकड़ना
और फिर ना छोड़ना
उन्हीं बातों ने हर पल
मुझे माँ बनाया है
जब जब तुमने मुझको
माँ कहकर बुलाया है
भूल जाती हूँ ग़म सारे
जब तेरे साथ होती हूँ
पा लेती हूँ खुशियाँ सारी
जब तेरे पास मैं होती हूँ
तेरे मासूम सवालों ने ही
मुझको जीना सिखाया है
तेरी मासूम शैतानियों ने ही
मुझको ख़ुद से मिलवाया है

कान्हा तेरी मासूमियत ने
मुझे हर पल हँसाया है
कैसे मैं, मैं से माँ बनी थी
सब कुछ याद दिलाया है

©Prachii Deepak Goel
  #prachiideepakgoel