मैं इस ज़िन्दगी की राह पर चलता एक मुसाफ़िर हूँ जिस तरफ़ राह मुड़े उस ओर मुड़ जाती हूँ मंज़िल से अंजान हूँ पर चले जा रही हूँ अँधेरों के तले रोशनी ढूँढ रही हूँ अपनी काली रातों के बाद की सुनहरी सुबह खोज रही हूँ "ठीक होगा" यही कहते हैं सब, पर थक चुकी हूँ अब नहीं होता इंतज़ार अब, जाने कहाँ गुम है मेरी खुशियों के रंग बस यही दुआ है अब "कुछ तो हो जो मुझे खुशी दे" दूसरों के लिए अपनी खुशियाँ तो खोती ही आयी हूँ अब दिल में सिर्फ अपनी खुशियों की चाह लायी हूँ। जिस दौर से गुज़र रही हूँ, वो बयां किया बोल नहीं सकती इसलिए लिख दिया #MyFeelings #iamsad #hopeeverythingoesokay ✌