फूलों सी कोमल एक नन्ही कलीं, फिर नर भेडिंयो का शिकार बनीं। एक मां की गोद हो गई सूनी, तड़पता दिल पुकार करें। धर रुप नर का फिरते जो दानव, इन दैत्यों का संहार करें।। सुन सिसकी उस मासूम की, क्या रुह नहीं कांपी होगी। इन हैवानों की कोई और नहीं, सजा सिर्फ फांसी होगी।। शोक निंदा और संवेदना, इन शब्दों से क्या जाहिर होगा। जिस मां का लुट गया सर्वस्व, अब उसे कहां हासिल होगा। नारी है शक्ति, नारी है दुर्गा होता नारी का गुणगान यहां। क्या बिन नारी के जायें हैं, जो करते नारी का अपमान यहां।। कैसी समाज में फैली ये विकृति, दिन दिन हैं अपराध बढ़े। राजनीति हैं आंकडों में उलझी, गत वर्ष बढ़े इस वर्ष घटें।। न्याय न्याय की बात हो करते, कब बेटी को न्याय दिलाओगे। जहां हो उसकी लाज सुरक्षित, कब ऐसा परिवेश बनाओगे।। इस दर्द में भी रंग हैं ढूंढतें, कुछ सूरमा ऐसे भी भारी हैं।। हैं आप समझतें वैद्ध जिन्हें, वो वैद्ध नहीं व्यापारी हैं।। प्रजा प्रजा में ना भेद करे, है शासक का कर्तव्य यही। ये राजधर्म की है परिभाषा, और अटल वक्तव्य सही।। सत्ताधीशों से आग्रह है, कुछ ऐसा कठोर विधान करें। ना नारी का शील लुटें, चहुं ओर इनका सम्मान बढें। अविरल विपिन बिटिया ट्विंकल शर्मा को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि