भंवरा फिर से इतराने को है, लगता है सुबा हो जाने को है! मोहब्बत की सुध यहां किसको है, इक आंधी चराग़ बुझाने को है! उसका बेवक्त मुझे याद करना वही मतलब के दिन आने को है! तुम जिसे याद करके रो रहे हो पर वो तुम्हे भूल जाने को है! इश्क़ की नाकामी क्या होती है यार ये ख़बर क्या ज़माने को है! पैर खून से लथपथ हो चुके हैं, इक मुसाफ़िर मंज़िल पाने को है! दिलों में ज़हर भरे हैं कुछ रिश्ते ये मुस्कान सिर्फ़ दिखाने को है! शायरी लिखके ग़म निकालना, ये नुस्ख़ा मिरी जान बचाने को है! कविराज अनुराग #Ghazal #kavirajanurag #gazal