वो जानती थी कि वो टूट जाएगी फिर भी वो साथ तुम्हारा देना चाहती थी बूँद सी थी तुम से मिल कर सागर सा होना चाहती थी क्या बिखेर देना इतना भी जरूरी था पंख तो थे उसके पास बस तुम्हारे हौसले को सजोना चाहती थी क्या इतना भी जरूरी था उसे तोड़ना आखिर क्यूँ तुम ये नहीँ समझ सके की साहिल पे बैठ नाम तुम्हारा लहरों से बचाना चाहती थी वो कमजोर नहीँ थी वो बस तुम्हें करीब रखने के लिये टूटा सा दिखना भी मंजूर था उसे । #loosingself