बहुत हुआ दुनियां के तमाशे, अब दिल भर आया है। देख दानवों की भीड़ को, दिल में अब डर आया है।। हूं औरत पर कितना सहे, अब ना होता है मुझसे सहन। तारों के बीच घर बने, अब अपना ठिकाना बने गगन।। *कृपया रचना लिखने से पहले कैप्शन जरूर पढ़ें *आज का विषय - तारों के बीच में घर *प्रतियोगिता नंबर - 3 *पंक्तियों की सीमा नहीं है