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थोड़ी ठंड की ठंडक में ठिठुरता हूं मै, हज़ार हरे हर

थोड़ी ठंड की ठंडक में ठिठुरता हूं मै,
हज़ार हरे हरे हरिया पत्तो को टूटते देख हारता हूं मै,
समय सुबह के शाम सी लाली को समझता हूं मै,
हा प्राकृतिक पात को देखता हूं मै, देखता हूं मै। Meri adhuri kalam #AKP
थोड़ी ठंड की ठंडक में ठिठुरता हूं मै,
हज़ार हरे हरे हरिया पत्तो को टूटते देख हारता हूं मै,
समय सुबह के शाम सी लाली को समझता हूं मै,
हा प्राकृतिक पात को देखता हूं मै, देखता हूं मै। Meri adhuri kalam #AKP
akp3828576465815

AKP

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