पाखंड भरे परिवेश में लोगो के मन के द्वेष में सेवा का यही मोल है सबको लगे कोई लोभ है जो काम करे लोभ में वो तोले सबको क्षोभ में तू सेवार्थ बन बस त्याग कर समाज का विकास कर । तूने ठानी है रक्षा की बात न कर व्यवस्था की तू सेवा कर तू सेवा कर । चाहे हँसते हो साथी तुझपे काम से जो फिरते छुपते करते चाहे सवाल बेतुके तू ही सोच तू क्यों रुके ? तेरा तो परमार्थ यही है जीवन का सत्यार्थ यही है तू सेवार्थ बन बस त्याग कर समाज का विकास कर । #ravikirtikikalamse #सेवार्थ