जलाए दीये कोई आंगन में मेरे बरसो से वीरान घर में रोशनी तो आए सजाए कुछ इस तरह आशियाँ मेरा जो यहां आए बस यही का हो जाए ढुंढ रहा हूँ बरसो से उनको कश्मकश है क्या कैसे समझाए रोक लूंगा उसको कसम दे कर एक दफ़ा बस मुलाकात हो जाए ये रुठना मनाना वाज़िब है हमारा ये बात हम खुद को कैसे समझाए कुछ तुम चलो कुछ हम बढ़े और ईश्क की नयी राह बनाई जाए #nojoto #hindi #bestpoetry #love #urdu #rekhta #poet