मानव जीवन के कर्म ही उसका जीवन सफल बनाते और दिशा तय करते हैं। दुनियां में भीष्म के सिवा न कोई है जिसने पिता के लिए आजीवन ब्रह्मचर्य अपनाया। गंगा ने शांतनु से कार्य में हस्तक्षेप न करने का वचन ले विवाह कर पुत्रों को जन्म दिया। सात वसुओं को गंगा नदी में बहा श्राप मुक्त किया आठवीं में शांतनु ने रोक दिया। जिस कारण गंगा छोड़ कर चली गईं आठवें पुत्र देवव्रत ही भीष्म पितामह कहलाए। सद्गुणी वीरता से संपन्न आजीवन हस्तिनापुर के सिंहासन के प्रति निष्ठावान रहे। निषाद कन्या सत्यवती के प्रेम में पड़कर महाराज शांतनु ने अपनी सुध बुध गंवाई। देवव्रत ने पितृ मोह वश आजीवन ब्रह्मचारी रहने का वचन ले पिता का विवाह कराया। पिता ने पुत्र भक्ति से प्रसन्न हो इच्छा मृत्यु का वरदान दिया इसलिए भीष्म कहलाए। सौतेले भाई विचित्रवीर्य के विवाह के लिए काशीराज कन्याओं का अपहरण किया। अंबा के प्रेम को जान प्रेमी के पास भेजा अपना फर्ज समझकर निभाया। प्रेमी ने तिरस्कार कर अंबा को लौटाया, भीष्म से विवाह करने का मन बनाया। भीष्म प्रतिज्ञा बता मना किया तो उनकी मृत्यु का कारण बनने का बीड़ा उठाया। अंबा ने पुनर्जन्म लेकर महाभारत के युद्ध में भीष्म को मौत के द्वार पहुंचाया। इच्छा मृत्यु अभिशाप साबित हुई जीवन पर्यंत निष्ठापूर्वक कर्त्तव्य में बिताया। अच्छे बुरे सब दिन देखे अंत समय बाण शैय्या पर बिता अंत में मोक्ष को पाया। #yqbaba #yqdidi #myquote #openforcollab #collabwithmitali #mahabharat_charitra #bhishma_pitamah Time limit till 11:59 pm tonight... No word limit You have to maintain these hashtags Kindly keep the bell icon on to get recent updates... Results will be out tomorrow along with new topic...